A REVIEW OF SHIV CHAISA

A Review Of Shiv chaisa

A Review Of Shiv chaisa

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अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई ।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट shiv chalisa in hindi में पूछत नहिं कोई॥

Whosoever offers incense, Prasad and performs arati to Lord Shiva, with really like and devotion, enjoys substance pleasure and spiritual bliss In this particular entire world and hereafter ascends on the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva eliminated the struggling of all Shiv chaisa and grants them Everlasting bliss.

जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ सहस कमल में हो रहे धारी ।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

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